जंगलों के विकास के लिए आज भी देर नही हुई है। हमारे पास मनरेगा जैसी नीतियां पूर्व से ही हैं। हर साल पौधों पे करोड़ो का बजट बनाने से अच्छा है जंगलों में मनरेगा के तहत वृक्ष सुधार नियम बनाया जाय। जंगल की बाहरी सीमा को आग से सुरक्षित कर अंदर फलदार वृक्ष लगाए जाय और उनके संरक्षण के लिए मनरेगा के तहत कार्य आवंटन किया जाय। इस बात को समझने की जरूरत है कि जंगलों को इंसानों व जानवरों से ज्यादा खतरा नहीं है, बजाय चीड़ जैसे पौधे के। जंगल के हर क्षेत्र में झाड़ी का होना आग के लिए सबसे अनुकूल वातावरण का होना है। हाँ, झाड़ी जंगली जानवरों का आवास भी है लेकिन आवास सीमित ही होना चाहिए। क्योंकि आज जंगली जीवों की हत्या के लिए मजबूत कानून है इसलिए जनवरों का हरपल छुपे रहना भी बहुत जरूरी नही है। दूसरा आज जंगलों में मवेशी या इंसानी दखलंदाजी बहुत कम है।