यह गाथा उत्तराखंड के रवाईं क्षेत्र में प्रसिद्ध है । जिसमें जीवन मौज मस्ती के जीवन पर आधारित है । लेकिन अंत में मलारी की दुःखद मृत्यु के कारण गाथा कारुणिक बन जाती है । गजेसिंह नामक पशु चरवाहा अपने पशुओं को लेकर फतेह पर्वत के ऊंचे चरागाहों में जाता है, जहाँ उसकी भेंट दो […]
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“सरू” लोक गाथा
यह गाथा संदेह तथा आत्मग्लानि पर आधारित एक ऐसी कहानी है, जिसमें पति द्वारा संदेह करने पर सरू नामक स्त्री आत्महत्या कर लेती है । सरू के पिता उसका विवाह अन्यत्र (दूसरी जगह) करवाना चाहते थे किन्तु जाती से सजवाण युवक के प्रेम में डूबी हुई सरू अपने विवाह का किसी दूसरे व्यक्ति से कड़ा […]
गोरीधना (भ्रातृ प्रेम) लोककथा
गढ़वाल भाग में जिस प्रकार सदेई की गाथा प्रसिद्ध है, उसी प्रकार कुमाऊँ में गोरीधना गाथा भाई – बहन के प्रेम की अमर प्रेम गाथा है । जिसमें दोनों का कारुणिक अंत हो जाता है । इस कहानी की मुख्य पात्र गोरीधना नाम की लड़की है जिसका विवाह नागवंशीय परिवार में होता है । बसंत […]
“जीरी झमको” लोक गाथा
यह गाथा ‘मलेथा कूल’ की तरह ही नरबलि दिए जाने पर आधारित है । जिस प्रकार प्रसिद्ध भड़ माधोसिंह भंडारी ने अपने पुत्र गजेसिंह की बलि मलेथा कूल के लिए दी, इसी प्रकार बड़ियारी सेरा की कूल निकालने में व्यवधान के निवारण हेतु एक अनाम बहू की बलि दिए जाने का व्याख्यान लोकगाथा के रूप […]
“राधिका” एक त्याग की गाथा
उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रो में चैत्र माह दीसा-ध्याणियों (विवाहिता लड़कियों) के लिए उल्लास का माह माना जाता है । इस माह में नवविवाहिता बेटियां अपने मायके से भेंट करने के लिए आने वालों (माता-पिता या भाई) का बेसब्री से इंतजार करती रहती हैं । या वह स्वयं ही मायके को चली आती हैं । इस […]
सदेई (भ्रातृ प्रेम कथा)
मातृ प्रेम की भावना में आकंठ डूबी ‘सदेई’ की गाथा एक अनन्य उदाहरण है, जिसने अपने पितृ गृह में भाई जन्मने की खुशी में अपने बच्चों तक की बलि देने को स्वीकार कर लिया था । गाथा की नायिका सदेई का विवाह अल्पायु में ही दूरस्थ गाँव थाती कठूड में हो जाता है । अपने […]