हर दिन एक नई डगर लेकिन उस पर भी मगर, हर कदम पर लोभ मेरा बनता रहा बाधा अगर, कैसे होगी…
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Read more »कहीं दूर झरनों में नहा के आयी है मेरे आंगन में पेड़ो के झरोखों से । हर प्राणी में नव …
Read more »तुम गीत मधुव्रत सा गुनगुनाते हो जब मैं कली पुष्प सा फिर खिल जाता हूँ …
Read more »आज नही, कल नही, फिर किसी गस्त पर सही मिलना तो है मुझे, हाँ मिलना तो है मुझे तुमसे पर…
Read more »बहुत कुछ हार कर कुछ जीता हूँ हुनर ए जिंदगी सब तेरा ही तो है । कोई मांगता है दिन रात …
Read more »इस तरह तेरे शहर को अपनाया है मैंने क्या कहूँ कितने अरमानों को भुलाया है मैंने । पीकर…
Read more »धरती पर जिसने मुझे बनाया उसने कोई भेद न जताया, मैंने उसी को याद करने के तरीकों से हि…
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